۲۹ آبان ۱۴۰۳ |۱۷ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 19, 2024
قم

हौज़ा / मीडिया शोधकर्ता और व्याख्याता ने कहा, पश्चिमी सभ्यता में मीडिया का काम केवल अपने योजनाबद्ध लक्ष्यों को अपने तरीके से प्रस्तुत करना है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के संवाददाता के साथ इंटरव्यू में मीडिया शोधकर्ता और व्याख्याता डॉक्टर मासूमा नसिरी ने इस्लाम में महिलाओं के ऊँचे दर्जे और पश्चिमी मीडिया में उनके किरदार के बीच के अंतर पर चर्चा की।

उन्होंने मीडिया की वर्तमान स्थिति पर बात करते हुए कहा:पश्चिमी सभ्यता में मीडिया का काम केवल उनके अपने योजनाबद्ध लक्ष्यों को अपने तरीके से प्रस्तुत करना है जो सिर्फ इंसान की इच्छाओं और सुख को प्राथमिकता देता है।

डॉक्टर नसिरी ने आगे कहा:पश्चिमी मीडिया का मुख्य उद्देश्य भौतिकवाद स्वार्थ और आत्मकेंद्रितता को बढ़ावा देना है यह मैं उपभोग करता हूँ इसलिए मैं हूँ' जैसी सोच को मजबूत करता है।

उन्होंने कहा:आज की दुनिया में मीडिया युद्ध की रणनीतियों को समझना और इसके माध्यम से जनता को जागरूक करना बेहद ज़रूरी है। यह मीडिया साक्षरता आंदोलन के मुख्य लाभों में से एक है जो लोगों को सही और गलत खबरों में फर्क करने और मनोवैज्ञानिक रणनीतियों को समझने में सक्षम बनाता है।

डॉक्टर नसिरी ने पश्चिमी मीडिया और महिलाओं की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा,पश्चिमी मीडिया अक्सर महिलाओं का उपयोग उपभोक्तावाद को बढ़ावा देने और आर्थिक उद्देश्यों को हासिल करने के लिए करता है। ऐसे में महिलाओं को अपनी जानकारी का समझदारी से उपयोग करते हुए शिक्षा और प्रभाव के माध्यम से अपने किरदार को सकारात्मक रूप से बदलना चाहिए।

इस्लामी दृष्टिकोण में महिलाओं के स्थान को समझाते हुए उन्होंने कहा,इस्लाम में महिलाओं को ऊँचा दर्जा प्राप्त है उन्हें सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था में मार्गदर्शन और प्रशिक्षण की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं धार्मिक शिक्षाएँ महिलाओं को उन कृत्रिम भावनाओं, अनियंत्रित इच्छाओं और अवास्तविक अपेक्षाओं से बचने की शिक्षा देती हैं जो उन्हें गुमराह कर सकती हैं।

डॉक्टर नसिरी ने कहा:अगर महिलाएँ मीडिया के गलत प्रभावों को पहचानकर आत्मनिर्भरता के साथ समाज में सकारात्मक भूमिका निभाएँ तो एक संतुलित स्थायी, और नैतिक समाज का निर्माण किया जा सकता है। इस्लामी दृष्टिकोण इस बात पर बल देता है कि महिलाएँ जागरूकता और दूरदर्शिता के साथ सामाजिक व्यवस्था का नेतृत्व करें।

उन्होंने यह भी कहा:इस्लामी दृष्टिकोण के अनुसार महिलाओं की भूमिका केवल उनकी अपनी सीमाओं तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे समाज के निर्माण में उनकी केंद्रीय भूमिका होती है।

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